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अगर आपकी कुण्डली में मांगलिक दोष हैं, तो आपका वैवाहिक जीवन दोषपूर्ण होकर उसमें हमेशा किसी अनिष्ठ का भय बना रहता है, ऐसे में आपको मंगल शांति के लिए किसी विद्वान पंडित व आचार्यों से पूजन करवाना चाहिए, इससे आपका वैवाहिक जीवन सुखमय होगा
Kumbh Vivah:ज्योतिष में मांगलिक दोष की मुक्ति के लिए कुम्भ विवाह का विधान है, कठोर मंगली होने की स्थिति में यह विवाह करना बेहद जरुरी माना जाता है।
ऐसे समझें कुंभ विवाहज्योतिष के अनुसार जब किसी के जन्मकुंडली में 1, 4, 7, 8, 12वें स्थान पर मंगल अत्यंत शक्तिशाली होकर बैठा हो, तो ऐसे में जातक अत्यंत मजबूत मंगली कहलाता है। जिसका प्रभाव उसके विवाह पर भी पड़ता है। ऐसे में विवाह में मंगल के प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे जातक का कुंभ विवाह कराया जाता है।
अर्क विवाह के फायदेकिसी भी पुरुष की कुंडली मे स्थित दोषो के कारण उसके विवाह मे जो परेशानियाँ और समस्याए आ रही होती है, अर्क विवाह के द्वारा उस पुरुष को समस्त प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है । अर्क विवाह की मदद से कुंडली मे से मांगलिक दोष को भी दूर किया जाता है।
व्यक्ति के कर्म या उसके द्वारा किए गए कुछ पिछले कर्मों के परिणामस्वरूप कालसर्प योग दोष कुंडली होना माना जाता है। इसके अलावा, यदि व्यक्ति ने अपने वर्तमान या पिछले जीवन में सांप को नुकसान पहुंचाया हो तो भी काल सर्प योग दोष की निर्मिति होती है।
हमारे मृत पूर्वजों की आत्माए नाराज होने से भी यह दोष कुंडली में पाया जाता है। संस्कृत में काल सर्प दोष द्वारा कई सारे निहितार्थ सुझाए गए है। यह अक्सर कहा जाता है कि अगर काल सर्प दोष निवारण पूजा नहीं की गयी तो, संबंधित व्यक्ति के कार्य को प्रभावित करेगा और सबसे कठिन बना देगा।
हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दुःखों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला खास मंत्र है। ये मंत्र ऋग्वेद और यजुर्वेद में भगवान शिव की स्तुती में लिखा है। रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करना चाहिए। जिससे हर तरह की परेशानी और रोग खत्म हो जाते हैं। वहीं अकाल मृत्यु (असमय मौत) का डर भी दूर होता है। शिवपुराण के अनुसार, इस मंत्र के जप से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
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हमारे पूर्वज, पितर जो कि अनेक प्रकार की कष्टकारक योनियों में अतृप्ति, अशांति, असंतुष्टि का अनुभव करते हैं एवं उनकी सद्गति या मोक्ष किसी कारणवश नहीं हो पाता तो हमसे वे आशा करते हैं कि हम उनकी सद्गति या मोक्ष का कोई साधन या उपाय करें जिससे उनका अगला जन्म हो सके एवं उनकी सद्गति या मोक्ष हो सके। उनकी भटकती हुई आत्मा को संतानों से अनेक आशाएं होती हैं एवं यदि उनकी उन आशाओं को पूर्ण किया जाए तो वे आशिर्वाद देते हैं। यदि पितर असंतुष्ट रहे तो संतान की कुण्डली दूषित हो जाती है एवं वे अनेक प्रकार के कष्ट, परेशानीयां उत्पन्न करते है, फलस्वरूप कष्टों तथा र्दुभाग्यों का सामना करना पडता है।
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+91-9835201254महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, जिसे आमतौर पर केदारनाथ या महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है, भारतीय हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग परंपरागत रूप से भारत के उत्तराखंड राज्य के केदारनाथ मंदिर में स्थित है, जो हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा और उपासना का महत्व विशेष रूप से शिव भक्तों के लिए है। इस ज्योतिर्लिंग का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है, जिसमें इसे पाण्डवों द्वारा प्राप्त किया गया था। लोग मानते हैं कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की दर्शन से पापों का नाश होता है और शिव की कृपा प्राप्त होती है।
केदारनाथ मंदिर, जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को समर्पित है, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। यहाँ पर लाखों शिव भक्त वार्षिक यात्रा के लिए आते हैं और शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा और महत्व को समझने के लिए, लोग विशेष रूप से केदारनाथ मंदिर का दौरा करते हैं।
इस ज्योतिर्लिंग का नाम "महाकालेश्वर" है, जो भगवान शिव के एक प्रमुख नामों में से एक है। "महाकाल" का अर्थ होता है "महान काल" या "मृत्यु", और "ईश्वर" का अर्थ होता है "ईश्वर"। इसलिए, महाकालेश्वर का अर्थ होता है "महान काल का ईश्वर", जिससे भगवान शिव का एक विशेष रूप समझा जाता है। इस ज्योतिर्लिंग को पूजने से शिव भक्त शिव की कृपा, संयम, और मोक्ष की प्राप्ति में सफलता प्राप्त करते हैं, इसलिए इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है।
मंगल दोष निवारण पूजा उज्जैन में करवाने के लिए आपको पहले उज्जैन के किसी प्रमुख शिव मंदिर का चयन करना होगा। उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर भारतीय धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, और यहाँ पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। महाकालेश्वर मंदिर में आप मंगल दोष निवारण के लिए एक विशेष पूजा आयोजित कर सकते हैं। आपको पहले उज्जैन यात्रा के लिए योजना बनानी होगी, और फिर मंदिर प्रशासन से संपर्क करके आगे की प्रक्रिया का विवरण प्राप्त कर सकते हैं। आपको श्रीमहाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के द्वारा आयोजित की जाने वाली पूजा के लिए आवंटित समय ।
जब आप मंदिर में पहुंचें, तो पूजा के लिए अपने आवश्यक सामग्री के साथ जाएं। पूजा की प्रक्रिया में आपको मंगल दोष के निवारण के लिए मंगल ग्रह के उपासना, मंत्र जाप, और दान की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है। आपको पूजा के लिए पंडित या पूजारी की मदद लेनी चाहिए, जो आपको पूजा की सही दिशा में प्रेरित करेंगे।
मंगल दोष निवारण के लिए उज्जैन में पूजा कराने के लिए आपको ठीक तरह से तैयारी करनी चाहिए, और आपको मंदिर प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों और प्रक्रिया का पालन करना होगा। मंगल दोष निवारण की पूजा का महत्व हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है। मंगल ग्रह को अग्नि का प्रतिनिधि माना जाता है और इसका प्रभाव विभिन्न घटनाओं, जैसे कि शादी, पारिवारिक सम्बन्धों, और पेशेवर जीवन पर पड़ता है। अगर किसी की कुंडली में मंगल दोष होता है।
उज्जैन शहर में महाकालेश्वर मंदिर स्थित है, जो महाकाल ज्योतिर्लिंग को संजोया गया है। महाकाल ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसका महत्व अत्यंत उच्च है। उज्जैन धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यहाँ पर विभिन्न प्रकार की पूजाएं और धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न होते हैं, जो लोगों को आध्यात्मिक आनंद और शांति प्राप्त करने में मदद करते हैं
शिव पूजा, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप एवं हवन कराने के लिए अनुभवी एवं योग्य पंडित चाहिए तो हमें संपर्क करें ।
आप मंदिर में, घर पर, ऑनलाइन या फोन पर संकल्प करवा कर शिव पूजा,रुद्राभिषेक,महामृत्युंजय जाप एवं हवन करवा सकते हैं।
जैसे धार्मिक शहर में वहां जाकर भी या बिना वहाँ गए ऑनलाइन या फोन पर संकल्प दिलवाकर कोई भी पूजा या महामृत्युंजय जाप करवा सकते हैं ।
1. व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं : रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और हवन को व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान पाने के लिए किया जा सकता है। यह अनुष्ठान रोगनिवारण, रोगनाशन, और शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है।
2. आध्यात्मिक उन्नति के लिए: यह अनुष्ठान आध्यात्मिक उन्नति, आत्मविकास, और शांति के लिए किया जा सकता है। यह व्यक्ति को आत्मा के साथ संबंधित अनुभवों को अनुभवने में मदद करता है और उसकी आध्यात्मिक उन्नति को समर्थ बनाता है।
3. परिवारिक समस्याएं : यदि परिवार में किसी समस्या का सामना किया जा रहा है, जैसे कि संतानों की समस्याएं, परिवार के बीच मनमुटाव, या किसी अन्य परिवारिक विवाद, तो रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और हवन इसे हल करने में मदद कर सकता है।
4. उत्तम योगदान के लिए : यह अनुष्ठान उत्तम योगदान के लिए भी किया जा सकता है, जैसे कि किसी विशेष आयोजन, परिस्थिति या उत्तम मौके पर धार्मिक सेवा के रूप में।
5. रोगनिवारण: अगर किसी व्यक्ति को शारीरिक रूप से कोई बीमारी है या उसे किसी विशेष बीमारी की समस्या है, तो रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और हवन इसका समाधान प्रदान कर सकते हैं। इन अनुष्ठानों के द्वारा व्यक्ति अपनी शारीरिक समस्याओं का समाधान कर सकता है और रोगनिवारण में सुधार हो सकता है।
6. शांति और सुख: रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और हवन का आयोजन शांति और सुख की प्राप्ति के लिए किया जा सकता है। इन अनुष्ठानों के माध्यम से व्यक्ति के मन में शांति और सुख की भावना आती है और उसे अपने जीवन में संतुष्टि मिलती है।
7. परिवारिक और सामाजिक समस्याओं का हल: अगर किसी परिवार या समाज में किसी समस्या का सामना है, तो रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और हवन इसे हल करने में मदद कर सकते हैं। इन अनुष्ठानों के द्वारा परिवार की एकता, प्रेम, और समाज में शांति बनी रह सकती है।
रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और हवन के आयोजन के लिए कोई विशेष परिस्थिति नहीं होती है, लेकिन इन्हें विशेष योग्यता और आवश्यकता के अनुसार किया जा सकता है। धार्मिक दृष्टि से इन अनुष्ठानों का आयोजन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और सुधार आ सकता है। महामृत्युंजय मंत्र गायत्री मंत्र की तरह अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली मंत्र है। इस मंत्र का प्रयोग श्रद्धा और विश्वास के साथ, भगवान शिव की भक्ति में किया जाता है। महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग मुख्य रूप से शरीर और जीवन की सुरक्षा के लिए किया जाता है, और इसे "संजीवनी मंत्र" भी कहा जाता है। रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप और हवन का आयोजन उचित एवं अनुभवी पंडित से करवाना चाहिए। एक अनुभवी पंडित धार्मिक अनुष्ठान के विधान को समझता है और सुनिश्चित करता है कि सभी पद्धतियों का पालन सही रूप से किया जा रहा है। एक अनुभवी पंडित के माध्यम से अधिक प्रार्थनाओं और विधियों का पालन किया जा सकता है जो अधिक प्रभावी और उत्तम परिणाम प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। वे भी समय पर और विधान के अनुसार मंगल कर सकते हैं, जिससे प्रभाव और उपयोगिता में वृद्धि होती है। इसलिए, जब भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप और हवन कराया जाए, तो यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह सही विधि और अनुभवी पंडित के साथ किया जाए, ताकि इसका प्रभाव सर्वोत्तम हो।